थार मरुस्थल भारत के उत्तरपश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो राजस्थान में स्थित है!थार मरुस्थल अद्भुत है। गरमियों में यहां की रेत उबलती है। इस मरुभूमि में साठ डिग्री सेल्शियस तक तापमान रिकार्ड किया गया है। जबकि सरदियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। गरमियों में मरुस्थल की तेज हवाएं रेत के टीलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं और टीलों को नई आकृतियां प्रदान करती हैं।
जन-जीवन के नाम पर मरुस्थल में मीलों दूर कोई-कोई गांव मिलता है। पशुपालन (ऊंट, भेड़, बकरी, गाय, बैल) यहां का मुख्य व्यवसाय है। दो-चार साल में यहां कभी बारिश हो जाती है। कीकर, टींट और खेचड़ी के वृक्षकहीं-कहीं दिखाई देते हैं। इंदिरा नहर के माध्यम से कई क्षेत्रों में जल पहुंचाने का प्रयास आज भी जारी है।
मरुस्थल में कई जहरीले सांप, बिच्छु और अन्य कीड़े होते हैं।
राजस्थान में मरू समारोह (फरवरी में ) - फरवरी में पूर्णमासी के दिन पड़ने वाला एक मनोहर समारोह है। तीनदिन तक चलने वाले इस समारोह में प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है।
प्रसिद्ध गैर व अग्नि नर्तक इस समारोह का मुख्य आकर्षण होते है। पगड़ी बांधने व मरू श्री की प्रतियोगिताएंसमारोह के उत्साह को दुगना कर देती है। सम बालु के टीलों की यात्रा पर समापन होता है, वहां ऊंट की सवारी काआनंद उठा सकते हैं और पूर्णमासी की चांदनी रात में टीलों की सुरम्य पृष्ठभूमि में लोक कलाकारों का उत्कृष्टकार्यक्रम होता है।
राजस्थान के ६० फीसदी हिस्से को थार मरुस्थल अपने में समेटे हुए है। दूर से देखने पर किसी को भी लग सकता हैकि मरुस्थल में होता ही क्या है, तो ऐसे लोगों को मैं बताना चाहूँगा कि यहाँ बहुत कुछ है।
थार मरुस्थल में कुछ ऐसेजीव-जंतु पाए जाते हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते। इन दुर्लभ प्रजातियों में से कुछ को तो आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कनजरवेशन आफ नेचर) ने अपनी रेड डेटा बुक में शामिल कर रखा है। लेकिनकुछ प्रजातियों तो उसकी नजरों से भी चूक गईं। ये प्रजातियाँ रेड डेटा बुक में शामिल प्रजातियों से भी ज्यादा दुर्लभहैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इन प्रजातियों के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते इसलिए उनपर किसी प्रकार काशोध भी नहीं हुआ। ऐसी प्रजातियों को डेटा डेफिशियेन्ट कहा जाता है।
भारत के कई पौराणिक कथाओं में रेगिस्तान बैकड्राप निर्माण करता है और वर्तमान समयों में पर्यटक के इच्छुक स्थान कहा जाता है ।
थॉर या ग्रेट भारतीय रेगिस्तान एक मरूभूमि (८०० किलोमीटर ) दीर्घ है तथा (४०० किलोमीटर) गहरे है। यह भारत के उत्तर पच्चिम में और पाकिस्तान के पूर्वी दिच्चा में तथा पच्चिम पर इंडस व सतलज नदी घाटी और पूर्वी पर आरवली रेजं के बीच स्थित है। च्चिफ्ट होनेवाले रेत ड्यून, टूटे पत्थर और स्क्रब पेड पौधे का मुख्यतः निर्जन क्षेत्र, यह २५ से मी से कम वार्षिक औसतम वर्षा प्राप्त करता है। बहुत ही कम जनसंख्या क्षेत्र में पेस्टोरल एकानमी उपलब्ध है। सतलज और बियस पानी बहाये गये कैनलों के विस्तार द्वारा, खेती ने कुछ जमीन कृषि के लिए उत्तर तथा पच्चिम कोनों में पा लिया है ।
अस्त के समय सैडं ड्यूनस पर ऊँट सवारी एक अपूर्व अनुभव है। यह जगह पुराने जमाने के कुछ बेहतर यादगाच्च्तों को अपने पास रखने का गर्व रखता है - राजमहल, कला, मंदिर तथा वास्तुकला तथा ऐतिहासिक मूल्य के अन्य खूबसूरत स्मारह चिन्ह और किसी भी आगन्तुक को अपूर्व न्योता दिलाता है।